Thursday, April 2, 2020




भक्तो को  दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या
भक्तों को दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या
छोटी सी कन्या अरे छोटी सी कन्या
भक्तों को दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या।

१)
भक्तो ने पूछा मईया नाम तेरा क्या है ?
भक्तो ने पूछा मईया नाम तेरा क्या है ?
नाम तेरा क्या है अरे नाम तेरा क्या है
वैष्णो माता बता गई रे एक छोटी सी कन्या।
भक्तों को दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या।

२)
भक्तो ने पूछा मईया धाम तेरा क्या है ?
भक्तो ने पूछा मईया धाम तेरा क्या है ?
धाम तेरा क्या है अरे धाम तेरा क्या है
त्रिकूट पर्वत बता गई रे एक छोटी सी कन्या।
भक्तों को दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या।

३)
भक्तो ने पूछा मईया वाहन तेरा क्या है ?
भक्तो ने पूछा मईया वाहन तेरा क्या है ?
वाहन तेरा क्या है अरे वाहन तेरा क्या है
पीला शेर बता गई रे एक छोटी सी कन्या।
भक्तों को दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या।

४)
भक्तो ने  पूछा मईया प्रसाद तेरा क्या है ?
भक्तो ने पूछा मईया प्रसाद तेरा क्या है ?
प्रसाद तेरा क्या है अरे प्रसाद तेरा क्या है
हलवा पूरी चना बता गई रे एक छोटी सी कन्या।
भक्तों को दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या।

५)
भक्तो ने पूछा मईया श्रृंगार  तेरा क्या है ?
भक्तो ने पूछा मईया श्रृंगार तेरा क्या है ?
श्रृंगार तेरा क्या है अरे श्रृंगार तेरा क्या है
लाल चोला बता गई रे एक छोटी सी कन्या।
भक्तों को दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या।

६)
भक्तो ने पूछा मईया शस्त्र तेरा क्या है ?
भक्तो ने पूछा मईया शस्त्र तेरा क्या है ?
शस्त्र तेरा क्या है अरे शस्त्र तेरा क्या है
त्रिशूल चक्र बता गई रे छोटी सी कन्या।
भक्तों को दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या।

७)
भक्तो ने पूछा मईया प्यार तेरा क्या है ?
भक्तो ने पूछा मईया प्यार तेरा क्या है ?
प्यार तेरा क्या है अरे प्यार तेरा क्या है
भक्तो का प्यार बता गई रे एक छोटी सी कन्या।
भक्तों को दर्शन दे गई रे एक छोटी सी कन्या।
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Sunday, August 18, 2019

सूतक (sootak )

शस्त्रों में सूतक-पातक विचार .....!

सूतक लग गया, अब मंदिर नहीं जाना तक ऐसा कहा-सुना तो बहुत बार, किन्तु अब इसका अर्थ भी समझ लेना ज़रूरी है !!!

सूतक

- सूतक का सम्बन्ध "जन्म के" निम्मित से हुई अशुद्धि से है !
- जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप "सूतक" माना जाता है !

- जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता :-
3 पीढ़ी तक - 10 दिन
4 पीढ़ी तक - 10 दिन
5 पीढ़ी तक - 6 दिन

ध्यान दें :- एक रसोई में भोजन करने वालों के पीढ़ी नहीं गिनी जाती ... वहाँ पूरा 10 दिन का सूतक माना है !

- प्रसूति (नवजात की माँ) को 45 दिन का सूतक रहता है !
- प्रसूति स्थान 1 माह तक अशुद्ध है ! इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं !

- अपनी पुत्री :-
पीहर में जनै तो हमे 3 दिन का,
ससुराल में जन्म दे तो उन्हें 10 दिन का सूतक रहता है ! और हमे कोई सूतक नहीं रहता है !

- नौकर-चाकर :-
अपने घर में जन्म दे तो 1 दिन का,
बाहर दे तो हमे कोई सूतक नहीं !

- पालतू पशुओं का :-
घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर हमे 1 दिन का सूतक रहता है !
किन्तु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता !
- बच्चा देने वाली गाय, भैंस और बकरी का दूध, क्रमशः 15 दिन, 10 दिन और 8 दिन तक "अभक्ष्य/अशुद्ध" रहता है !

पातक

- पातक का सम्बन्ध "मरण के" निम्मित से हुई अशुद्धि से है !
- मरण के अवसर पर दाह-संस्कार में इत्यादि में जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप "पातक" माना जाता है !

- मरण के बाद हुई अशुचिता :-
3 पीढ़ी तक - 12 दिन
4 पीढ़ी तक - 10 दिन
5 पीढ़ी तक - 6 दिन

ध्यान दें :- जिस दिन दाह-संस्कार किया जाता है, उस दिन से पातक के दिनों की गणना होती है, न कि मृत्यु के दिन से !
- यदि घर का कोई सदस्य बाहर/विदेश में है, तो जिस दिन उसे सूचना मिलती है, उस दिन से शेष दिनों तक उसके पातक लगता है !

अगर 12 दिन बाद सूचना मिले तो स्नान-मात्र करने से शुद्धि हो जाती है !

- किसी स्त्री के यदि गर्भपात हुआ हो तो, जितने माह का गर्भ पतित हुआ, उतने ही दिन का पातक मानना चाहिए !

- घर का कोई सदस्य मुनि-आर्यिका-तपस्वी बन गया हो तो, उसे घर में होने वाले जन्म-मरण का सूतक-पातक नहीं लगता है ! किन्तु स्वयं उसका ही मरण हो जाने पर उसके घर वालों को 1 दिन का पातक लगता है !

- किसी अन्य की शवयात्रा में जाने वाले को 1 दिन का, मुर्दा छूने वाले को 3 दिन और मुर्दे को कन्धा देने वाले को 8 दिन की अशुद्धि जाननी चाहिए !

- घर में कोई आत्मघात करले तो 6 महीने का पातक मानना चाहिए !

- यदि कोई स्त्री अपने पति के मोह/निर्मोह से जल मरे, बालक पढाई में फेल होकर या कोई अपने ऊपर दोष देकर मरता है तो इनका पातक बारह पक्ष याने 6 महीने का होता है !

उसके अलावा भी कहा है कि :-

जिसके घर में इस प्रकार अपघात होता है, वहाँ छह महीने तक कोई बुद्धिमान मनुष्य भोजन अथवा जल भी ग्रहण नहीं करता है ! वह मंदिर नहीं जाता और ना ही उस घर का द्रव्य मंदिर जी में चढ़ाया जाता है ! (क्रियाकोष १३१९-१३२०)
- अनाचारी स्त्री-पुरुष के हर समय ही पातक रहता है

ध्यान से पढ़िए :-

- सूतक-पातक की अवधि में "देव-शास्त्र-गुरु" का पूजन, प्रक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती हैं !
इन दिनों में मंदिर के उपकरणों को स्पर्श करने का भी निषेध है !
यहाँ तक की गुल्लक में रुपया डालने का भी निषेध बताया है !
-- किन्तु :-
ये कहीं नहीं कहा कि सूतक-पातक में मंदिरजी जाना वर्जित है या मना है !
- मंदिर जी में जाना, देव-दर्शन, प्रदक्षिणा , जो पहले से याद हैं वो विनती/स्तुति बोलना, भाव-पूजा करना, हाथ की अँगुलियों पर जाप देना जिनागम सम्मत है !

- यह सूतक-पातक आर्ष-ग्रंथों से मान्य है !

- कभी देखने में आया कि सूतक में किसी अन्य से जिनवाणी या पूजन की पुस्तक चौकी पर खुलवा कर रखवाली और स्वयं छू तो सकते नहीं तो उसमे फिर सींख, चूड़ी, बालों कि क्लिप या पेन से पृष्ठ पलट कर पढ़ने लगे ... ये योग्य नहीं है !
- कहीं कहीं लोग सूतक-पातक के दिनों में मंदिरजी ना जाकर इसकी समाप्ति के बाद मंदिरजी से गंधोदक लाकर शुद्धि के लिए घर-दुकान में छिड़कते हैं, ऐसा करके नियम से घोरंघोर पाप का बंध करते हैं !

- इन्हे समझना इसलिए ज़रूरी है, ताकि अब आगे घर-परिवार में हुए जन्म-मरण के अवसरों पर अनजाने से भी कहीं दोष का उपार्जन न हो !

Tuesday, July 9, 2019

सावन झड़ी लागे (savan jhadi Laage)

सावन झड़ी लागे ओ धीरे धीरे।


 १) ओ सांवरी मै बाग गई थी,
अकेले डर लागे ओ धीरे धीरे।
सावन झड़ी लागे ओ धीरे धीरे।

२) ओ सांवरी खोलो चंदन किवडिया,
चुनर मोरी भीगे ओ धीरे धीरे।

३) ओ संवारी मै खिड़की पे ठाडी,
नजर तुमसे लागी ओ धीरे धीरे।
सावन झड़ी लागे ओ धीरे धीरे।

Saturday, February 17, 2018

श्रीकृष्ण की मृत्यु की कथा


एक समय, श्री कृष्णा के वंशज आपस मे ठिठोली कर रहे थे| उसी समय वहाँ एक दूर्वासा ऋषि आए| बालको को उनसे मज़ाक करने की सूझी| उनमे से एक ने अपने पेट पर कढ़ाई को बाँध लिया , और गर्भवती स्त्री का भेष बना उनके पास पहुँचा और बोला- कि उसके गर्भ मे लड़का है या लड़की?

ऋषि को क्रोध आ गया और उन्होने कहा- इसमे ना लड़का है ना लड़की| इसमे से एक मूसल निकलेगा जो तुम्हारे पूरे वंश के नाश का कारण बनेगा|

इतना सुन सभी बालक डर गये| उन्होने जल्दी से पेट से कढ़ाई को निकाला तो उसमे से मूसल निकला| उन्होने उस मूसल को पत्थर पर घिस दिया  और उससे बने बुरादे और अंत मे बचे छोटे से टुकड़े को समुद्रा के किनारे फेंक दिया|
उस बुरादे से समुद्र के पास लोहे की घांस उग गई। और जो छोटा सा लोहे का टुकड़ा था, वह एक जरा नाम के भील को मिला, उसने उसे अपने बाण के सिरे पर यह सोच कर लगा लिया कि इससे शिकार करने में आसानी होगी।

कालांतर में गांधारी के श्राप के फलस्वरूप सभी यदुवंशी आपस में कलह करते हुए उसी समुद्र के पास पहुंच गए और उन्ही लोहे की घांस से  कर एक दूसरे को मार दिया।

एक बार भगवान श्री कृष्णा एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे| उनके एक पैर का पंजा, दूसरे पैर के घुटने पर रखा हुआ था| उनके तलुवे मे कमल की पंखुड़ी के समान आँख का चिह्न था| उसी समय वहाँ वही भील जरा आया जो काफ़ी समय से शिकार की तलाश कर रहा था| उसने श्रीकृष्ण के तलुवे मे बनी आँख को हिरण की आँख समझ कर तीर छोड दिया| उसी तीर से श्रीकृष्ण के प्राण निकल गये|


Saturday, May 28, 2016

रानी सती दादी जी की कहानी (Story of Rani Sati Dadi)


Though veneration of Rani Sati and patronage of these temples cut across caste, regional and even religious lines, they are particularly prevalent among the merchant Marwari community, and its Agrawal sub-caste.



पौराणिक इतिहास से ग्यात होता है की महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में वीर अभीमन्यु वीर गति को प्राप्त हुए थे | उस समय उत्तरा जी को भगवान श्री कृष्णा जी ने वरदान दिया था की कलयुग में तू “नारायाणी” के नाम से श्री सती दादी के रूप में विख्यात होगी और जन जन का कल्याण करेगी, सारे दुनिया में तू पूजीत होगी | उसी वरदान के स्वरूवप श्री सती दादी जी आज से लगभग 715 वर्ष पूर्व मंगलवार मंगसिर वदि नवमीं सन्न 1352 ईस्वीं 06.12.1295 को सती हुई थी |
जन्म – श्री दादी सती का जन्म संवत 1638 वि. कार्तिक शुक्ला नवमीं दिन मंगलवार रात १२ बजे के पश्चात डोकवा गाँव में हुआ था | इनके पिता का नाम  श्री गुरसामल जी था |Rani, was a seventeen-year-old girl of the Bania (Marwari) caste.

बचपन - इनका नाम नारायाणी बाई रखा गया था | ये बचपन में धार्मिक व सतियो वाले खेल खेलती थी | बड़े होने पर 
पिता ने उन्हे धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ शस्त्र शिक्षा व घुड़सवारी की शिक्षा भी दिलाई थी | बचपन से ही इनमे दैविक शक्तियाँ नज़र आती थी, जिससे गाँव के लोग आश्चर्य चकित थे |

विवाह – नारायाणी बाई का विवाह हिस्सर राज्य के  श्री ज़ालीराम जी के पुत्र तनधन दास जी के साथ मंगसिर शुक्ला नवमीं सन्न 1352 मंगलवार को बहुत ही धूम धाम से हुआ था |

तनधन जी का इतिहास – इनका जन्म हिस्सार के  ज़ालीराम जी के घर पर हुआ था | इनकी माता का नाम शारदा देवी था | छोटे भाई का नाम कमलाराम व बहिन का नाम स्याना था | ज़ालीराम जी हिस्सार में दीवान थे | वहाँ के नॉवब के पुत्र और तनधन दास जी में मित्रता थी परंतु समय व संस्कार की बात है, तनधन दास जी की घोड़ी शहज़ादे को भा गयी | घोड़ी पाने की ज़िद से दोनो में दुश्मनी 
न गयी | घोड़ी छीनने के प्रयत्न में शहज़ादा मारा गया | इसी हादसे से घबरा कर दीवान जी रातो रत परिवार सहित हिस्सर से झुनझुनु की ओर चल दिए | हिस्सर सेना की ताक़त झुनझुनु सेना से टक्कर लेने की नही थी | दोनो शाहो में शत्रुता होने के कारण ये लोग झुनझुनु में बस गये |

मुकलावा – मुकलावे के लिए ब्राह्मण के द्वारा दीवान साहब के पास निमंत्रण भेजा गया | निमंत्रण स्वीकार होने पर तनधन दास जी राणा के साथ कुछ सैनिको सहित मुकलावे के लिए “महम” पहुँचे | मंगसिर कृष्णा नवमीं सन्न 1352 मंगलवार प्रातः शुभ बेला में नारायाणी बाई विदा हुई |
परंतु होने को कुछ और ही मंजूर था | इधर नवाब घात लगाकर बै ा था | मुकलावे की बात सुनकर सारी पहाड़ी को घेर लिया | “देवसर” की पहाड़ी के पास पहुँचते ही सैनिको ने हमला कर दिया | तनधन दास जी ने वीरता से डटकर हिस्सारी फ़ौजो का सामना किया | विधाता का लेख देखिए पीछे से एक सैनिक ने धोके से वार कर दिया, तनधन जी वीरगति को प्राप्त हुए |

नई नवेली दुल्हन ने डोली से जब यह सब देखा तो वह वीरांगना नारायाणी चंडी का रूप धारण कर सारे दुश्मनो का सफ़ाया कर दिया | झडचन का भी एक ही वार में ख़ात्मा कर दिया | लाशो से ज़मीन को पाट दिया | सारी भूमि रक्त रंजीत हो गयी | बची हुई फौज भाग खड़ी हुई | इसे देख राणा जी की तंद्रा जगी, वे आकर माँ नाराराणी से प्रार्थना करने लगे, तब माता ने शांत होकर शस्त्रों का त्याग किया |
फिर राणा जी को बुला कर उनसे कहा – मैं सती होउंगी तुम जल्दी से चीता तय्यार करने के लिए लकड़ी लाओ | चीता बनने में देर हुई और सूर्या छिपने लगा तो उन्होने सत् के बल से सूर्या को ढलने से रोक दिया | अपने पति का शव लेकर चीता पर बै  गई | चुड़े से अग्नि प्रकट हुई और सती पति लोक चली गयी | चीता धू धू जलने लगी | देवताओं ने गदन से सुमन वृष्टि की |

वरदान – तत्पश्चात चीता में से देवी रूप में सती प्रकट हुई और मधुर वाणी में राणा जी से बोली, मेरी चीता की भस्म को घोड़ी पर रख कर ले जाना, जहाँ ये घोड़ी रुक जाएगी वही मेरा स्थान होगा | मैं उसी जगह से जन-जन का कल्याण करूँगी | ऐसा सुन कर राणा बहुत रुदन करने लगा | तब माँ ने उन्हे आशीर्वाद दिया की मेरे नाम से पहले तुम्हारा नाम आएगा “रानी सती” नाम इसी कारण से प्रसीध हुआ | घोड़ी झुनझुनु गाँव में आकर रुक गयी | भस्म को भी वहीं पघराकर राणा ने घर में जाकर सारा वृतांत सुनाया | ये सब सुनकर माता पिता भाई बहिन सभी शोकाकुल हो गये | आज्ञनुसार भस्म की जगह पर एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया | आज वही मंदिर एक बहुत बड़ा पुण्य स्थल है, जहाँ बै ी माँ “रानी सती दादी जी” अपने बच्चो पर अपनी असीम अनुकंपा बरसा रही है | अपनी दया दृष्टि से सभी को हर्षा रही है |

हे माँ मुझको एसा घर दो, जिसमे तुम्हारा मंदिर हो (Hey maa mujhko esa ghar do, jisme tumhara mandir ho)









हे माँ मुझको एसा घर दो, जिसमे तुम्हारा मंदिर हो
ज्योति जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अंदर हो

हे माँ    हे माँ     माँ
इक कमरा हो जिसमे तुम्हारा, आसन माता सजा रहे,
हर पल हर क्षण भक्तो का वहां आना जान लगा रहे।
छोटे बड़े का माँ उस घर में एक समान ही आदर हो,
ज्योत जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो॥

हे माँ    हे माँ     हे माँ
इस घर से कोई भी खाली कभी सवाली जाए ना,
चैन ना पाऊं तब तक दाती जब तक चैन वो पाए ना।
मुझको दो वरदान दया का, तुम तो दया का सागर हो,
ज्योत जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो॥

हे माँ मुझको एसा घर दो, जिसमे तुम्हारा मंदिर हो
ज्योति जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अंदर हो




Saturday, May 7, 2016

PRC Collections ( PR's Cute Collections )


  • Straight Kurtis & Anakali
  • Tops & Short Kurties
  • Leggings
  • Dupatta
  • Patiyalla
  • Saries
  • Inner Wear
  • Metal Bangles
  • Metal Earrings & Studs
  • Quilling Earrings & Studs
  • Terracotta Earrings
  • Resham Thread Bangles
  • Bindi & Nail Paints
  • Silver Anklets & Toe Rings
  • Cosmetics
  • AmWay Products
  • Long & Short Capri pants
  • Hot Pant
  • Night Wear
  • Shrugs


To Order:
Email on:
pcscollections2015@gmail.com






Tuesday, September 8, 2015

जगत मे जिसका जगत पिता रखवाला रे-२
उसे मारने वाला हमने जाग मे नहीं निहारा रे
जगत मे जिसका जगत पिता रखवाला रे

१) एक बहेलिया अपने घर से ले तीर कमान चला भाई
पक्षिन का वध करने के लिए एक जंगल में पहुँचा जाई-२
थे एक पेड़ पर बैठे दो पक्षिन को देखा भाई
थी एक बिचारी कबूतरी और एक कबूतर था भाई-२
आनंद में बैठे थे दौनो थी किसी बात की परवाह ना
फिर एक शिकारी बेदर्दी का अपने मन में हर्षाना-२
झट तीर निकाला तरकश से दे ध्यान ज़रा सुनते जाना
जालिम ने देर करी न ज़रा
तानन लगा निशाना अधर्मी वो नीच हत्यारा रे

२) अब और सुनो सज्जन आगे कैसी विचित्र हरी की माया
नीचे ये ताने तीर खड़ा उपर एक और गजब ढाया-२
उस बाज भयंकर को देखो जो आसमान में मंडराया
चौतरफ़ा नज़र घुमाई ज़रा कुछ खाने को उसका मन चाहा-२
बस उसी पेड़ पर नज़र पड़ी वो बाज प्रसन्न हुआ भाई
अंबर में चक्कर काट रहा वो पक्षी बाज ता बलकारी-२
दौनो पक्षिन को देख लिया हुआ दिल से डोर फिकर भाई
थी घड़ी मे अब तो हे भैया बस झपट्टा मारने की तैयारी-२
उन मासूम लहू का अब तो हो ओ ओ ओ ओ...
उन मासूम लहू का अब तो ईश्वर ही रखवाला रे
जगत मे जिसका जगत पिता रखवाला रे..

३) ये देख कर कबूतर और कबुतरि दौनो का धीरज टूट गया
यू कहने लगी नर से मादा, अब बलम विधाता रूठ गया-२
बस आज हमारे और तुमरे जीवन का डोर टूट गया
बस इसी पेड़ के उपर हम दौनो का भंडा फूट गया-२
ये नीच शिकारी है तैयार धरती पर ताने तीर खड़ा
उपर ये चक्कर काट रहा 

झूला झूलो री राधे रानी, बुलाने तेरा श्याम आया रे (jhula jhulo ri radhe rani bulane tera shyam aaya re)


झूला झूलो री राधे रानी, बुलाने तेरा श्याम आया रे
श्याम आया, श्याम आया, श्याम आया रे
झूला झूलो री राधे रानी, बुलाने तेरा श्याम आया रे

१) सावन की बरसे है रिमझिम बदरिया-२
रिमझिम बदरिया, हाँ रिमझिम बदरिया
सावन की बरसे है रिमझिम बदरिया
तेरी चुनरिया भिगोने ओ राधे तेरा श्याम आया रे
श्याम आया, श्याम आया, श्याम आया रे
झूला झूलो री राधे रानी, बुलाने तेरा श्याम आया रे

२) रेशम की डोरी है चाँदी का झूला-२
चाँदी का झूला, हाँ चाँदी का झूला
झूले पे तुझको बैठाने, ओ राधे तेरा श्याम आया रे
श्याम आया, श्याम आया, श्याम आया रे
झूला झूलो री राधे रानी, बुलाने तेरा श्याम आया रे

३) कान्हा के हाथों मे साजे मुरलिया-२
साजे मुरलिया, हाँ साजे मुरलिया
मुरली की तां सुनाने ओ राधे तेरा श्याम आया रे
श्याम आया, श्याम आया, श्याम आया रे
झूला झूलो री राधे रानी, बुलाने तेरा श्याम आया रे

४) हँस के बुलाए तेरा प्रियतम ओ साजन-२
प्रियतम ओ साजन, हाँ प्रियतम ओ साजन
मधुवन मे रास रचाने, ओ राधे तेरा श्याम आया रे
श्याम आया, श्याम आया, श्याम आया रे
झूला झूलो री राधे रानी, बुलाने तेरा श्याम आया रे

Monday, September 7, 2015

meethi meethi mere samvre ki ( मीठी मीठी मेरे साँवरे की मुरली बाजे )

मीठी मीठी मेरे साँवरे की मुरली बाजे, मुरली बाजे
हो के श्याम की दीवानी राधे रानी नाचे|

१) छोटो सो कन्हेया मेरो बाँसुरी बजावे
यमुना किनारे देखो रास रचावे
पकड़ी राधे जी की बइयां देखो घूमर घाले, घूमर घाले
हो के श्याम की दीवानी राधे रानी नाचे|

२) छम छम बाजे देखो राधे जी की पैजनियाँ
नाचे रे कन्हेया मेरो छोड़ के मूरलिया
राधे संग नैन लड़ावे नाचे सागे सागे, नाचे सागे सागे
हो के श्याम की दीवानी राधे रानी नाचे|

Video Link: https://www.youtube.com/watch?v=BY01rrHG03A