आप माने या न माने,
हमारे लिए सबसे बड़ी आफत,
बफे की दावत !!
एक बार हमको भी जाना पड़ा बारात में,
बीवी बच्चे भी थे साथ में,
सभी के सभी बाहर से शो-पीस, अन्दर से रूखे थे,
मगर क्या करें भाई साहब, सुबह से भूखे थे!!
जैसे ही खाने का संदेशा आया हॉल में,
भगदड़ सी मच गयी पांडाल में,
सभी एक के ऊपर एक बरसने लगे,
जिसने झपट लिया सो झपट लिया,
बाकी खड़े-खड़े तरसने लगे!!
१) एक आदमी हाथ में प्लेट लिए, इधर से उधर चक्कर लगा रहा था,
खाना लेना तो दूर उसे देख भी नहीं पा रहा था!!
२) दूसरा अपनी प्लेट में चावल की तश्तरी झाड लाया था,
मगर उस भी ज्यादा तो अपना कुर्ता फाड़ लाया था!!
३) तीसरी एक महिला थी, जो ताड़ के वृक्ष के समान तनी थी ,
उसकी आधी साड़ी पनीर की सब्जी में सनी थी,
उसे धो रही थी,
पड़ोसन की पहन के आई थी इसीलिए रो रही थी!!
४) चौथा बेचारा गरीब था, लाचार था,
इसलिए कपडे उतार कर पहले से ही तैयार था!!
५) पांचवा एक पहलवान था, अकेले ही सारे झटके झेल रहा था,
भीड़ में घुसने से पहले, दण्ड पेल रहा था!!
६) छटा इन हरकतों से बेहद परेशान था,
इसलिए उसका बीवी बच्चों से ज्यादा, प्लेट पे ध्यान था!!
७) सातवा तो कल्पना में ही खा रहा था!!
प्लेट दुसरे की देख रहा था, मुंह अपना चला रहा था!!
८) आठवे का तो मालिक ही रब था,
प्लेट उसके हाथ में थी, मगर हलवा गायब था!!
९) नवा भी कुछ अजीब हरकतें कर रहा था,
खाना खाने की बजाय जेबों में भर रहा था!!
१०) दंसवा स्वयं लड़की का बाप था,
जिसके आधे प्राण कंठ में अड़े थे,
घराती सारे जीम रहे थे,
बाराती सड़को पे खड़े थे!!
देखते हुए ये हालत,
हम अपनी पत्नी से बोले ..
डियर लौट चलें सही सलामत !!
बस फिर क्या था ..
इस बात पर पत्नी बिगड़ गयी,
बोली किस कमबख्त के पल्ले पड़ गयी,
इस से अच्छा तो किसी पहलवान से शादी रचाती,
तो कम से कम भूखी तो न मारी जाती,
पर इस से शादी रचा कर तो आज तक अपने मन को कचोट रही हूँ,
ज़िन्दगी में पहली बार किसी दावत से बिना कुछ खाए लौट रही हूँ !!
Thanks for that poem.. bachpan me note kiya ta ise.. bt mujhse miss ho gyi ti.. aur kahi mil b ni rahi ti.. thank you .😊
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