Wednesday, October 1, 2014

अम्बे माँ की आरती (ambe maa ki aarti)

हे भवनमति शरणात तुमको बार बार प्रणाम है
आनंद मंगल कीजिए, दुर्गेश तुम्हारा नाम है
घड़ा पाप का भर गया, फैला अत्याचार
आसमान ही सत्य है, धरती करे पुकार

अंबे तुम हो जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गाँवे भारती
ओ मईया !! हम सब उतारे तेरी आरती

१) तेरे जगत के भक्त जनों पर भीड़ पड़ी है भारी
मईया भीड़ पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी
सौ सौ सिहों से तुम बलिशारि, अष्ट भुजाओं वाली
दुष्टों को तुम ललकारती।
ओ मईया !! हम सब उतारे तेरी आरती

२) माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता
मईया बडा ही निर्मल नाता
पूत-कपूत सुने बहुतेरे माता सुनी न कुमाता
सब पर करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखडे निवारती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती

३) नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना
मईया न चांदी न सोना
हम तो मांगें माँ तेरे हृदय में एक छोटा सा कोना
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली
सतियों के सत को सँवारती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती

४) अकबर बादशाह ने मईया सोने का छत्र चढ़ाया
मईया सोने का छत्र चढ़ाया
हाथ जोड़ कर करे विनती, चरणो में शीश नवाया
सबकी विपदा मिटाने वाली, लाज बचाने वाली
दुखियों के दुख को निवारती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती

५) घनन घनन घन होये गगन में उँची ध्वजा सवन में
मईया उँची ध्वजा सवन में
चौमुख दिया जले आँगन में होये बढ़ौटी धन में
मन में ध्यावे जो नर और नारी, करके तेरी अग्यारी
नईया भंवर से उतारती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती

६) रतन जतन सिंहासन वाली है गड़ राज दुलारी
मईया है गड़ राज दुलारी
माथे मुकुट कान विच कुंडल शोभा अद्भुत न्यारी
त्यारी महिमा है अपरंपारी, बढ़ने न जाए दुलारी
भारी से भारी संकट तुम टालती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती

७) चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली
मईया ले पूजा की थाली
वरद हस्त माँ सर पर रख दो संकट हरने वाली
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली
बिगड़े कारज तू ही सारती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती

8) अष्ट सिद्ध नव निधि की दाता है जगदम्बे माता
मईया है जगदम्बे माता
पान फूल सब लेकर आता श्रद्धा सहित चढ़ता
गाता लो माता भेंट हमारी, खुश हो जाओ महतारी
शरण तुम्हारी आए है

बैल चढ़े शंकर मिले, गरूण चढ़े भगवान
सिंह सवारी मेरी दुर्गे आई, माँ पूरण करियो काम

मईया के दरबार में घंटन की घनघोर
यात्री थाडे द्वार पे, माँ दर्शन दिजो मोय
मईया इतना दीजिए जामे कुटुम्ब समाय
मैं भी भूखा ना रहूं, साधु भूखा न जाए
तुम दाता हम मँगता, तुमरा दिया खाय
तुलसी दाता छोड़ के, माँ माँगन किसको जाए

जापर कृपा मात की होये
तापर कृपा करे सब कोई