Friday, June 12, 2015

एसो रास रचयो बृंदावन में है रही पायल की झंकार (eso raas racho brindavan me, ho rahi payal ki jhankaar)

एसो रास रचयो बृंदावन में
है रही पायल की झंकार||
एसो रास...

१) घुंघरू खूब छमछ्म बाजे,
बजते बिदुवा बहुतै बाजे,
रवा कौंधनी केहु बाजे,
अंग अंग में गहना बाजे, चुरियन की झंकार|
एसो रास...

२) बाजे भाँति भाँति के बाजे,
झांझ पखावज दुन्दुभि बाजे,
सारंगी और महुवर बाजे,
बंसी बाजे मधुर मधुर बाजे बीना के तार|
एसो रास...

३) राधा मौहन दे गलबैयाँ,
नाचे संग संग ले फिरकईयाँ,
चाल चले शीतल सुखदैयाँ,
जामा पटका ल़हेंगा फरिया करे सनन सनकार|
एसो रास...

तर्ज: इकली घेरी वन में   

एक दिन वो भोले भंडारी बन करके बृजनारी (ek din wo bhole bhandari, ban kar ke brijnari)



एक दिन वो भोले भंडारी बन करके बृजनारी, गोकुल मे आ गये हो|
पार्वती भी मना के हारी ना माने त्रिपुरारी, गोकुल मे आ गये हो||

१) पार्वती से बोले, मैं भी चलूँगा "तेरे संग में"-२
राधा संग श्याम नाचे, मैं भी चलूँगा "तेरे संग में"-२
रास रचेगा ब्रिज में भारी, मुझे दिखाओ प्यारी, गोकुल मे आ गये हो|
एक दिन वो....

२) ओ मेरे भोले स्वामी, कैसे ले जाउ "मेरे साथ में"-२
मोहन के सिवा वहाँ, कोई पुरुष ना "जावे रास में"-२
हसीं करेंगी ब्रिज की नारी, मानो बात हमारी, गोकुल मे आ गये हो|
एक दिन वो....

३) एसा बना दो मुझे, कोई ना जाने "इस राज को"-२
मैं हूँ सहेली तेरी, एसा बताना "ब्रिजराज को"-२
बना के जुड़ा, पहन के साड़ी, चाल चले मतवाली, गोकुल मे आ गये हो|
एक दिन वो....

४) हस कर सती ने कहा, बलिहारी जाऊं "इस रूप पे"-२
एक दिन तुम्हारे लिए, आए मुरारी "इस रूप में"-२
मोहनी रूप बनाया मुरारी, अब है तुम्हारी बारी, गोकुल मे आ गये हो|
एक दिन वो....

५) देखा मोहन ने वहाँ, समझ गये वो, "सारी बात रे"-२
एसी बजाई बंसी, सुध बुध भूल गये "भोलेनात रे"-२
सर से खिसक गयी सब साड़ी, मुस्काये गिरधारी, गोकुल मे आ गये हो|
एक दिन वो....

६) दीन दयालु तेरा, तब से गोपेश्वर "हुआ नाम रे"-२
ओ भोले बाबा तेरा, बृंदावँ में "बना  धाम रे"-२
ताराचंद कहे त्रिपुरारी, राखियो लाज हमारी, गोकुल मे आ गये हो|
एक दिन वो....

Tarj: Milo na tum to hum ghabraye . मिलो ना तुम तो हम घबराएँ