Friday, June 12, 2015

एसो रास रचयो बृंदावन में है रही पायल की झंकार (eso raas racho brindavan me, ho rahi payal ki jhankaar)

एसो रास रचयो बृंदावन में
है रही पायल की झंकार||
एसो रास...

१) घुंघरू खूब छमछ्म बाजे,
बजते बिदुवा बहुतै बाजे,
रवा कौंधनी केहु बाजे,
अंग अंग में गहना बाजे, चुरियन की झंकार|
एसो रास...

२) बाजे भाँति भाँति के बाजे,
झांझ पखावज दुन्दुभि बाजे,
सारंगी और महुवर बाजे,
बंसी बाजे मधुर मधुर बाजे बीना के तार|
एसो रास...

३) राधा मौहन दे गलबैयाँ,
नाचे संग संग ले फिरकईयाँ,
चाल चले शीतल सुखदैयाँ,
जामा पटका ल़हेंगा फरिया करे सनन सनकार|
एसो रास...

तर्ज: इकली घेरी वन में   


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