Tuesday, July 9, 2019

सावन झड़ी लागे (savan jhadi Laage)

सावन झड़ी लागे ओ धीरे धीरे।


 १) ओ सांवरी मै बाग गई थी,
अकेले डर लागे ओ धीरे धीरे।
सावन झड़ी लागे ओ धीरे धीरे।

२) ओ सांवरी खोलो चंदन किवडिया,
चुनर मोरी भीगे ओ धीरे धीरे।

३) ओ संवारी मै खिड़की पे ठाडी,
नजर तुमसे लागी ओ धीरे धीरे।
सावन झड़ी लागे ओ धीरे धीरे।



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