Monday, May 26, 2014

Ganesh ji ki kahani

एक बुढ़िया थी| वह गणेश जी की बहुत पूजा किया करती थी| उसकी बहू को यह पसंद नही था| एक दिन उसकी बहू ने गणेश जी की मूर्ति को कुएँ में फेंक दिया| बुढ़िया बहुत दुखी हुई| वह नगर में निकल कर रास्ते में जो भी मिलता उसको बोलती कि"कोई मेरे गणेशजी बना दो", पर किसी ने उसके लिए गणेशजी नहीं बनाए| चलते चलते एक जगह पहुँची जहाँ राजा का महल बन रहा था| उसने कारीगर से कहा "तुम मेरे लिए गणेश जी बना दो"| कारीगर ने कहा,"जितनी देर में तेरे गणेशजी बनाएँगे उतनी देर में तो हम जाने कितना महल खड़ा कर देंगे"| बुढ़िया दुखी होकर आगे बढ़ गयी| जैसे ही बुढ़िया वहाँ से गयी, राजा का महल टेढ़ा हो गया| कारीगर दौड़े दौड़े राजा के पास गये| राजा के पूछने पर कारीगर ने बताया की बुढ़िया के जाने के बाद ही महल टेढ़ा हो गया| तब राजा भागा भागा बुढ़िया के पास पहुँचा| बुढ़िया से पूछा,"अम्मा तूने एसा क्या जादू टोना किया की मेरा महल टेढ़ा हो गया?, गणेशजी क्या, मैं तो तेरे लिए गणेश जी का मंदिर बनवा दूँगा"| जैसे ही बुढ़िया का मंदिर बन के तैयार हुआ, वैसे ही राजा का महल सीधा हो गया| इस तरह जैसे भगवान गणेश ने राजा और बुढ़िया पर कृपा बनाई, वैसे ही वह सब भक्तों पर कृपा बनाए रखें| बोलो गणेश भगवान की जय!! 


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