रेखा लाँघ मत आना रे, मेरे देवर की लग रही आन
साधु जी मेरे देवर की लग रही आन
१) मृग के पीछे सूरत बिसारी, रघुवर रामा दल ने
रेखा खींच शक्ति को डारी, देवर लखन जति ने
मेरे देवर की लग रही आन
२) भेष बदल कर रावण आयो, लंका को पुरवासी
भिक्षा डाल जानकी माता, जोगी जात बिसारी
मेरे देवर की लग रही आन
३) कंद मूल सब लेकर आई, सीता जनक दुलारी
अरे रेखा भीतर पैर न रखियो, होय नरक को वासी
मेरे देवर की लग रही आन
४) कंद मूल फल बगल में बैठे, सीता बगल बैठारी
रथ हाँको आकाश लोक कू, लंका को पुरवासी
मेरे देवर की लग रही आन
साधु जी मेरे देवर की लग रही आन
१) मृग के पीछे सूरत बिसारी, रघुवर रामा दल ने
रेखा खींच शक्ति को डारी, देवर लखन जति ने
मेरे देवर की लग रही आन
२) भेष बदल कर रावण आयो, लंका को पुरवासी
भिक्षा डाल जानकी माता, जोगी जात बिसारी
मेरे देवर की लग रही आन
३) कंद मूल सब लेकर आई, सीता जनक दुलारी
अरे रेखा भीतर पैर न रखियो, होय नरक को वासी
मेरे देवर की लग रही आन
४) कंद मूल फल बगल में बैठे, सीता बगल बैठारी
रथ हाँको आकाश लोक कू, लंका को पुरवासी
मेरे देवर की लग रही आन
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