घर आवेंगे एक दिन राम, सबरी के हरष भयो
घर आवेंगे एक दिन राम, सबरी के हरष भयो
१) बोले वचन मतंग ऋषि, तू सुन सबरी दे कान
एक समय तेरे घर सबरी
आवेंगे लक्ष्मण राम, सबरी के हरष भयो
२) वचन सुनत निश्चय मन किन्हो, छोड़ो घर को काम
अरे बार बार घर बाहर आवे,
देखन लक्ष्मण राम, सबरी के हरष भयो
३) चख चख नित ही फल लावे, नित ही वन में जाय
खड़ी खड़ी वो वाट निहारे,
कब दर्शन दे आए, सबरी के हरष भयो
४) श्याम गौर सुंदर दो भाई, घर पहुँचे आय
प्रेम मगन मुख वचन न आवे
चरणो में गयी लिपटाय, सबरी के हरष भयो
५) चरण धोय चरणामृत लिन्हो, आसान दियो बिछाय
कंद मूल फल प्रभु को दिन्हे
रूचि रूचि भोग लगाय, सबरी के हरष भयो
६) एसी अधम जात की सबरी , दी निज धाम पठाय
श्याम कहे विश्वास रखे से
दे दर्शन घर आय, सबरी के हरष भयो
घर आवेंगे एक दिन राम, सबरी के हरष भयो
१) बोले वचन मतंग ऋषि, तू सुन सबरी दे कान
एक समय तेरे घर सबरी
आवेंगे लक्ष्मण राम, सबरी के हरष भयो
२) वचन सुनत निश्चय मन किन्हो, छोड़ो घर को काम
अरे बार बार घर बाहर आवे,
देखन लक्ष्मण राम, सबरी के हरष भयो
३) चख चख नित ही फल लावे, नित ही वन में जाय
खड़ी खड़ी वो वाट निहारे,
कब दर्शन दे आए, सबरी के हरष भयो
४) श्याम गौर सुंदर दो भाई, घर पहुँचे आय
प्रेम मगन मुख वचन न आवे
चरणो में गयी लिपटाय, सबरी के हरष भयो
५) चरण धोय चरणामृत लिन्हो, आसान दियो बिछाय
कंद मूल फल प्रभु को दिन्हे
रूचि रूचि भोग लगाय, सबरी के हरष भयो
६) एसी अधम जात की सबरी , दी निज धाम पठाय
श्याम कहे विश्वास रखे से
दे दर्शन घर आय, सबरी के हरष भयो
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