घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
१) रखा पलंग से पैर न नीचे उतार कर
वन में कही पर बैठ ही जाओगी हार कर
पछताओगि दिल में न कहना किया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
२) जंगल में सब तरह की मुसीबत मिलेगी
कहो कंकड़ो की राह में तुम कैसे जा पाऑगी
दुखी होवेगा पैरों का छाला छिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
३) खाने को फल मिलेंगे वो भी कभी कभी
खाने पड़ेंगे मीठे व खट्टे तुम्हे सभी
नहीं जाएगा तुमसे वो पानी पिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
४) पत्ते बिछा के भूमि पर सोया न जाएगा
वन में डरोगी शेर से रोया न जाएगा
रैन होगी अंधेरी न होगा दिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
१) रखा पलंग से पैर न नीचे उतार कर
वन में कही पर बैठ ही जाओगी हार कर
पछताओगि दिल में न कहना किया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
२) जंगल में सब तरह की मुसीबत मिलेगी
कहो कंकड़ो की राह में तुम कैसे जा पाऑगी
दुखी होवेगा पैरों का छाला छिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
३) खाने को फल मिलेंगे वो भी कभी कभी
खाने पड़ेंगे मीठे व खट्टे तुम्हे सभी
नहीं जाएगा तुमसे वो पानी पिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
४) पत्ते बिछा के भूमि पर सोया न जाएगा
वन में डरोगी शेर से रोया न जाएगा
रैन होगी अंधेरी न होगा दिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
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