Friday, September 12, 2014

घर बैठो न वन को चलो तुम सिया (Ghar baitho na van ko chalo tum siya)

घर बैठो न वन को चलो तुम सिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया

१) रखा पलंग से पैर न नीचे उतार कर
वन में कही पर बैठ ही जाओगी हार कर
पछताओगि दिल में न कहना किया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया

२) जंगल में सब तरह की मुसीबत मिलेगी
कहो कंकड़ो की राह में तुम कैसे जा पाऑगी
दुखी होवेगा पैरों का छाला छिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया

३) खाने को फल मिलेंगे वो भी कभी कभी
खाने पड़ेंगे मीठे व खट्टे तुम्हे सभी
नहीं जाएगा तुमसे वो पानी पिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया

४) पत्ते बिछा के भूमि पर सोया न जाएगा
वन में डरोगी शेर से रोया न जाएगा
रैन होगी अंधेरी न होगा दिया
घर बैठो न वन को चलो तुम सिया


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