Monday, September 8, 2014

सुनो रघुनाथ तुमको पार, अब कैसे लगाउ मैं ( suno raghunath tumko par, ab kaise lagau main )



सुनो रघुनाथ तुमको पार, अब कैसे लगाउ मैं
चढ़ा कर के तुम्हें ये नाव, क्या अपनी गवाँउँ मैं 
सुनो रघुनाथ तुमको पार, अब कैसे लगाउ मैं

१) हज़ारों है यहाँ केवट, हज़ारों नाव हैं जल में

बुलालो और केवट को, नहीं अब नाव लगाउँ मैं 
सुनो रघुनाथ तुमको पार, अब कैसे लगाउ मैं

२) उन्हीं चरनों के रज कण से सिला पाषान थी भारी

अगर जो उड़ गयी नैया, कहो कैसे बताउ मैं 
सुनो रघुनाथ तुमको पार, अब कैसे लगाउ मैं

३) अगर दो चार होती तो, भले ही एक उड़ जाती

नहीं रहवे एक भी नइया तो कम कर कैसे जाउ मैं
सुनो रघुनाथ तुमको पार, अब कैसे लगाउ मैं

४) करूँगा पार मैं इस शर्त पर, मंजूर तुम कर लो

पहले चरण पखारुगा, तुम्हे पीछे चढ़ाउ मैं
सुनो रघुनाथ तुमको पार, अब कैसे लगाउ मैं


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