कर जोड़ कहूँ श्री मॅट सुनो, मुझे हुकुम पिता ने वन का दिया
करे राज अवध का भ्राता भरत, मैने इसको ही स्वीकार किया
कर जोड़ कहूँ श्री मॅट सुनो, मुझे हुकुम पिता ने वन का दिया
१) रहूं चौदह बरस तप वन में करूँ, धूप और शीत सभी मैं सहुं
दर्शन मुनि जन के मैं करूँ, तभी होवे सफल मेरा जनम लिया
कर जोड़ कहूँ श्री मॅट सुनो, मुझे हुकुम पिता ने वन का दिया
२) ऋषि सेवा करूँ, मँहि ताप हरु , और आग्या पिताजी शीश धरु
फिर आ कर दर्शन तुम्हारे करूँ, ये मात कैकयि ने भला किया
कर जोड़ कहूँ श्री मॅट सुनो, मुझे हुकुम पिता ने वन का दिया
३) मत शोक करो, मन धीर धरो, मुझे आग्या दो वन जाने की
शुभ लगन अवसर जाय टला, यों कह कर शीश झुकाय दिया
कर जोड़ कहूँ श्री मॅट सुनो, मुझे हुकुम पिता ने वन का दिया
करे राज अवध का भ्राता भरत, मैने इसको ही स्वीकार किया
कर जोड़ कहूँ श्री मॅट सुनो, मुझे हुकुम पिता ने वन का दिया
१) रहूं चौदह बरस तप वन में करूँ, धूप और शीत सभी मैं सहुं
दर्शन मुनि जन के मैं करूँ, तभी होवे सफल मेरा जनम लिया
कर जोड़ कहूँ श्री मॅट सुनो, मुझे हुकुम पिता ने वन का दिया
२) ऋषि सेवा करूँ, मँहि ताप हरु , और आग्या पिताजी शीश धरु
फिर आ कर दर्शन तुम्हारे करूँ, ये मात कैकयि ने भला किया
कर जोड़ कहूँ श्री मॅट सुनो, मुझे हुकुम पिता ने वन का दिया
३) मत शोक करो, मन धीर धरो, मुझे आग्या दो वन जाने की
शुभ लगन अवसर जाय टला, यों कह कर शीश झुकाय दिया
कर जोड़ कहूँ श्री मॅट सुनो, मुझे हुकुम पिता ने वन का दिया
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