जानकी झरोखा झांके नंदिनी जनक की
चार सखी आगे पीछे फूलन की माला साजे
बीच में शोभा देती नंदिनी जनक की
1) देख रघुनाथ शोभा सिया जी का मन लोभा
एक टक गड़ी जैसे पुतली कनक की
जानकी झरोखा झांके नंदिनी जनक की
2) एक तो है कोमल गात दूजी करे पिता से बात
छोड़ दो पिताजी प्रण धनुष तोड़ने की
जानकी झरोखा झांके नंदिनी जनक की
3) सिया जी की कैसी माया कोई नहीं जान पाया
शिवजी की धनुईया जैसी बालक खिलन की
जानकी झरोखा झांके नंदिनी जनक की
4) राम जी है भारी नील सिया अति गोरी गोरी
रामजी नगीना सिया सुंदरी कनक की
जानकी झरोखा झांके नंदिनी जनक की
5) दोनों की पुरानी प्रीत यह तो भई लोक रीत
हिय में समायी छवि युगल चरण की
जानकी झरोखा झांके नंदिनी जनक की
6) चहु दिशि धूम मची आनंद बधाई बजी
कौन सराहे छवि भैया रे लखन की
जानकी झरोखा झांके नंदिनी जनक की
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