राम चन्द समुंदर पर रोवे, करके करुण पुकार
तेरे बिन लक्ष्मण बचत न प्राण हमार
१) बहुत कही मैने बात, भ्रात मैने समझाय
छोड़ कुटुम्ब परिवार साथ वन को आय
अब क्यू मुझको छोड़ अकेला जाते हो मझधार
तेरे बिन लक्ष्मण बचत न प्राण हमार
२) पूछेंगी जब मात क्या बतलाउँगा
जाय अवध में कैसे मुख दिखलाउँगा
अब क्यू मुझको छोड़ अकेला जाते हो मझधार
तेरे बिन लक्ष्मण बचत न प्राण हमार
३) आय नहीं हनुमान रैन रही थोड़ी है
भोर होत ही प्राण निकल जाय, यही दुख सोच अपार
तेरे बिन लक्ष्मण बचत न प्राण हमार
तेरे बिन लक्ष्मण बचत न प्राण हमार
१) बहुत कही मैने बात, भ्रात मैने समझाय
छोड़ कुटुम्ब परिवार साथ वन को आय
अब क्यू मुझको छोड़ अकेला जाते हो मझधार
तेरे बिन लक्ष्मण बचत न प्राण हमार
२) पूछेंगी जब मात क्या बतलाउँगा
जाय अवध में कैसे मुख दिखलाउँगा
अब क्यू मुझको छोड़ अकेला जाते हो मझधार
तेरे बिन लक्ष्मण बचत न प्राण हमार
३) आय नहीं हनुमान रैन रही थोड़ी है
भोर होत ही प्राण निकल जाय, यही दुख सोच अपार
तेरे बिन लक्ष्मण बचत न प्राण हमार
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